Thursday, August 10, 2006

बेवफ़ा समंदर है

बेवफा समंदर है,
अजनबी किनारा है।
नाखुदा ने कश्ती को,
फिर वहीं उतारा है।

तल्ख तनहाई में,
दिल को बहलाते हैं ।
हमको तेरी यादों का,
किस क़दर सहारा है ।

फूल-से महकते हैं,
गीत औ ग़ज़ल अपने,
हमने कुछ तजुर्बों को,
इस तरह संवारा है ।

क्या बताएँ हम तुमको,
किस तरह से जीते हैं।
मौत ने मिटाया नहीं,
जिंदगी ने मारा है।

डूबता है सूरज तो,
आसमां सिसकता है,
फिर भी लोग करते हैं,
क्या हसीं नजारा है ।

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By- www.srijangatha.com
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