थोड़ा अपनी कह लेना ।
कहते-सुनते ही जीवन का,
यह रास्ता कट जाएगा ।
बादल-जैसी पीर घनेरी,
आज उठी है भीतर में ।
इसको थोड़ी और हवा दो,
यह बादल छट जाएगा ।
घट जाता है दुख, बँटने से...
दुनिया ऐसा कहती है ।
पथ पर मेरे साथ चलो तो,
निश्चित यह घट जाएगा ।
दिन भर तपता है यह सूरज,
फिर भी तम का राज यहाँ ।
तुम आओ जो साथ हमारे,
अँधियारा फट जाएगा ।
जीवन का यह भर अकेले ,
ढो पाना भी मुश्किल है ।
थ़ोड़ा हाथ लगाने से यह,
मुमकिन है बँट जाएगा ।
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By- www.srijangatha.com
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